Saturday, November 21, 2009

बच्चे का खेल

 
एक बच्चे को एक तार मिला वो उससे खेलने लगा उसे बहुत मजा आ रहा था उसने उसे एक टाँय बना कर खेला फिर सुबह से रात तक खेलते रहा फिर उसने और तरह के तार इक्ठ्ठे किये फिर उसने उनका टाँय बनाया, फिर वो घर चला गया ।

फिर वो रोज कुछ कुछ तारो से खेलने लगा और हर दिन उसे उनसे खेल कर मजा लेने लगा । फिर उसे एक पत्थर मिला तो उसने सोचा की मै अब और पत्थर ढुढुंगा, फिर उसने और पत्थर ईकठ्ठे किये उसके बाद वो उनसे खेलने लगा पर थोडे दिन बाद वो उनसे खेल खेल कर बोर हो गया ।

फिर उसने एक अलग तरह की लकडी देखी तो फिर उसने तरह तरह की लकडीयो को इक्ठ्ठा किया फिर थोडे दिन बाद वो उनसे भी बोर हो गया तो उसने फिर और नई नई चिजो को देखा तब उसके बाद उसने घास इकठ्ठी की ।

फिर एक दिन उसे याद आया की वो अलग अलग तरह के शन्ख ढुढ कर ईकठ्ठे कर सकता था उसके बाद वो गया और उसने तरह तरह के शन्ख ढुन्ढे ।

उसके बाद उसने और अनोखी अनोखी चीजे देखी और उसने उन्हे ईकठ्ठा किया उसके बाद उसने अलग अलग रंग देखे उसे लगा की मै पैन्टिग करुंगा ।

फिर उसने अपनी चीजो का एक बढिया सा डिब्बा तैयार किया उसे अब मजा आने लगा क्योकि उसके बाद खेलने के लिए बहुत सारी चिजे थी उसने उनसे बहुत खेला । वो रोज अपना डिब्बा खोलता और उनसे खेलता ।